Thursday 12 January 2012

लैला को मत बताओ!

मजनूं ने लैला के कान में कहा,
आई लव यू लैला.
 पर इस बात को सीक्रेट रखना,
क्यूंकि अभी फटा है मेरा थैला.
और मेरा कुरता है,
मैला कुचैला.
लैला बोली ठीक है,
तुम जैसा बोलो मेरे छैला
आज से तुम्हारी,
बस तुम्हारी है ये लैला.

बात ख़त्म हो गयी,
मजनूं अपने घर गया, 
लैला अपने घर गयी,

एक दिन मार्केट में मजनूं
ने बनिए के सामने थैला फैलाया.
बनिए ने गेहूं और चावल डाले,
और मंद मंद मुस्काया

मजनूं कन्फ्यूस्ड!
यार ये माजरा क्या है.
दाल चावल के बीचों बीच.
अचानक ये बाजरा क्या है? 

रस्ते चलते लोग मजनू को
कनखियों से देखते.
 कोई सिरियेस हो के घूरता,
कोई हंस देता देख के.

मजनूं बेचारा, झेंपा झल्लाया
था वो बहुत भोला.
अब कभी देखे अपने कुरते को,
कभी छुपाये अपना झोला


बहुत हँसे गाँव के मुखिया जी,
बोले मजनूं बेटा, घर जाओ.
अगली बार अगर सीक्रेट रखनी हो कोई बात,
तो लैला को मत बताओ !!

-- अभ्युदय

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